आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "कमल"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "कमल"
ग़ज़ल
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
थोड़ी देर में थक जाएँगे नील-कमल सी रेन के पाँव
थोड़ी देर में थम जाएगा राग नदी के झाँझन का
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
भँवर काला किया है भेस तेरे मुख कमल के तईं
वले इस भँवरे थे तेरे पीरत में हुईं कामिल में