आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "क़दम-बोसी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "क़दम-बोसी"
ग़ज़ल
दश्त में चल कि हर इक ख़ार-ए-बयाबाँ को 'निसार'
जूँ हिना कब से तमन्ना-ए-क़दम-बोसी है
मोहम्मद अमान निसार
ग़ज़ल
फिर बगूले हैं रवाँ बहर-ए-क़दम-बोसी-ए-शौक़
क़ैस को लैली-ए-महमिल का ख़याल आया है
मुज़फ़्फ़र शिकोह
ग़ज़ल
मंज़िलें जिन की क़दम-बोसी पे नाज़ाँ थीं बहुत
वो जरी क़ाफ़िला-सालार कहाँ खो गए हैं
सुल्तान अख़्तर
ग़ज़ल
हिमाला की बुलंदी भी क़दम-बोसी को गर उतरे
ज़मीं वाले ज़मीं के साथ ग़द्दारी नहीं करते
Meem Sheen Najmi
ग़ज़ल
फ़ना के बा'द भी की है तिरी क़दम-बोसी
मैं ख़ाक हो के भी तेरी ही रहगुज़र में रहा
क़ाज़ी एहतिशाम बछरौनी
ग़ज़ल
मयस्सर जिस से आ जाती थी साक़ी की क़दम-बोसी
मुक़द्दर में नहीं वो लग़्ज़िश-ए-मस्ताना बरसों से
अब्दुल मजीद सालिक
ग़ज़ल
सबा मेरी क़दम-बोसी से पहले गुल न देखेगी
अगर वहशत ने कुछ दिन बाग़ में रहने दिया मुझ को
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
झुक गया चर्ख़ ख़जिल हो के क़दम-बोसी को
उस ने देखी थी कभी रिफ़अत-शान-ए-देहली
सय्यद मेहदी हुसैन मेहदी
ग़ज़ल
जब से ब-सनम-ख़ाना की मैं ने क़दम-बोसी
सौ तरह की ज़ाहिद से तकरार है और मैं हूँ
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
क़दम-बोसी मयस्सर हो किसी सूरत से उस बुत की
'जमीला' बा'द-ए-मुर्दन ख़ाक-ए-कू-ए-यार हो जाना