आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "काफ़िर-ए-हिन्दी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "काफ़िर-ए-हिन्दी"
ग़ज़ल
यूँ दाद-ए-सुख़न मुझ को देते हैं इराक़ ओ पारस
ये काफ़िर-ए-हिन्दी है बे-तेग़-ओ-सिनाँ ख़ूँ-रेज़
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
बुतों की बंदगी है शुक्रिया साने' की सन'अत का
वो काफ़िर क्यों हुआ जिस को ये दिलबर याद आते हैं
ए. डी. अज़हर
ग़ज़ल
हट जाए इक तरफ़ बुत-ए-काफ़िर की राह से
दे कोई जल्द दौड़ के महशर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हुस्न काफ़िर था अदा क़ातिल थी बातें सेहर थीं
और तो सब कुछ था लेकिन रस्म-ए-दिलदारी न थी
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
ऐ परेशानी-ए-ज़ुल्फ़-ए-सनम-ए-काफ़िर-ए-केश
कीजियो तू न मिरे दिल को परेशान कहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
मू-ब-मू क्यूँ-कर न हो मुझ को गिरफ़्तारी-ए-ज़ुल्फ़
काफ़िर-ए-इश्क़-ए-बुताँ मैं एक और ज़ुन्नार सौ
सैय्यद मोहम्मद मीर असर
ग़ज़ल
काफ़िर-ए-इश्क़-ए-बुताँ हूँ यही मज़हब है मिरा
सूरत-ए-रिश्ता-ए-जाँ है मुझे ज़ुन्नार अज़ीज़
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
किस काफ़िर-ए-बे-मेहर से दिल अपना लगा है
जिस में कि मोहब्बत न मुरव्वत न वफ़ा है
मोहम्मद अमान निसार
ग़ज़ल
लग़्ज़िश न हो क्यूँ कर रह-ए-दीं में मुझे ज़ाहिद
याद आ गई उस काफ़िर-ए-मय-ख़्वार की रफ़्तार
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़
घर है अल्लाह का ये इस की तो ता'मीर न तोड़