aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कार-ए-दुनिया"
अगरचे कार-ए-दुनिया कुछ नहीं हैमगर इस के अलावा कुछ नहीं है
कार-ए-दुनिया के तक़ाज़ों को निभाने में कटीज़िंदगी रेत की दीवार उठाने में कटी
ये कैसा कार-ए-दुनिया हो रहा हैलहू इंसाँ का सस्ता हो रहा है
मियान-ए-कार-ए-दुनिया हम से दिल नाशाद क्या करतेहमें वो याद कब आया उसे हम याद क्या करते
कार-ए-दुनिया से गए दीदा-ए-बेदार के साथरब्त लाज़िम था मगर नर्गिस-ए-बीमार के साथ
ख़त्म कितना कार-ए-दुनिया कर चलेऔर कितना कार-ए-दुनिया रह गया
कार-ए-दुनिया को हैं दरकार हमारी उम्रेंकार-ए-दुनिया से तो आज़ाद नहीं होने के
कार-ए-दुनिया से क्या पाना हैरेत भरी है मिट्टी के अंदर
क्या हक़ीक़त है कार-ए-दुनिया कीक्या मुनाफ़ा है इस ख़सारे में
कार-ए-दुनिया कोई रिआ'यत करफ़ुर्सत-ए-ख़्वाब चाहता हूँ ज़रा
कार-ए-दुनिया में ग़र्क़ मत होनाये कहानी है और फ़ानी है
कार-ए-दुनिया तो ख़त्म होता नहींकहना ही पड़ता है ख़ुदा-हाफ़िज़
कार-ए-दुनिया की आरज़ू ने 'नबील'मुझ को सौ उलझनों में डाला है
होश में रहना भी करना इश्क़ भीकार-ए-दुनिया से भी घबराना 'हिना'
कार-ए-दुनिया में हम पे लाज़िम हैख़ुद-परस्ती की हर अदा बदलें
रिहा हुआ जो मैं ज़ंजीर-ए-कार-ए-दुनिया सेतू खेलता रहा शब भर किसी के बालों से
भले हो कार-ए-मोहब्बत या कार-ए-दुनिया 'ज़ुबैर'हमारे साथ हमेशा ख़सारे जाते हैं
क्या करूँ ऐ कार-ए-दुनिया क्या करूँवो मुझे है फिर से याद आया हुआ
बस कि वहशत थी कार-ए-दुनिया सेकुछ भी हासिल न हस्ब-ए-हाल हुआ
बहुत शफ़्फ़ाफ़ थे जब तक कि मसरूफ़-ए-तमन्ना थेमगर इस कार-ए-दुनिया में बड़े धब्बे लगे हम को
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