आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ख़ाला"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ख़ाला"
ग़ज़ल
की फ़िक्र 'इनायत' ने मय-ख़्वारों की दावत की
ख़ाला का लिया बाला नथ माँ की उड़ाई है
इनायत अली ख़ान इनायत
ग़ज़ल
इश्क़ है ऐ दिल कठिन कुछ ख़ाना-ए-ख़ाला नहीं
रख दिलेराना क़दम ता तुझ को हो इमदाद दाद
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
मिरी रौशनी तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल से मुख़्तलिफ़ तो नहीं मगर
तू क़रीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
तुझे चाँद बन के मिला था जो तिरे साहिलों पे खिला था जो
वो था एक दरिया विसाल का सो उतर गया उसे भूल जा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है