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ग़ज़ल
क़ैद-ए-ज़़िंदाँ में ख़याल-ए-बाल-ओ-पर आया तो क्या
पुतलियों में गोया ‘अक्स-ए-बाम-ओ-दर आया तो क्या
वाहिद नज़ीर
ग़ज़ल
ऐ कि तुझ से ताक़त-ए-परवाज़ बाल-ओ-पर में है
वो बुलंदी दे जो अज़्म-ए-हौसला-परवर में है
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
ख़्वाहिश-ए-पर्वाज़ है तो बाल-ओ-पर भी चाहिए
मैं मुसाफ़िर हूँ मुझे रख़्त-ए-सफ़र भी चाहिए
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
वो बुत परी है निकालें न बाल-ओ-पर ता'वीज़
हैं दोनों बाज़ू पे इस के इधर उधर ता'वीज़