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ग़ज़ल
लिटा के सीने पे चंचल को प्यार से हर-दम
मैं गुदगुदाता था हँस हँस वो ज़ोफ़ खोता था
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
रंज-ओ-सुरूर-ओ-कैफ़ जवानी के चार दिन
क्या क्या तुम्हारे 'इश्क़ में खोता रहा ग़ज़ाल
ए.आर.साहिल "अलीग"
ग़ज़ल
चमन का लुत्फ़ खोता है चमन में अजनबी होना
ख़िज़ाँ भी अपने गुलशन की भली मालूम होती है
शफ़ीक़ जौनपुरी
ग़ज़ल
कोई पटकता है सर कोई जान खोता है
तिरे ख़िराम ने फ़ित्ने उठाए हैं क्या क्या
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
जहाँ से हारने पर दोस्तो ऐसा भी होता है
हक़ीक़त छोड़ कर इंसाँ यहाँ सपनों में खोता है
सुजीत सहगल हासिल
ग़ज़ल
तक़य्युद हब्स का आज़ादियाँ दिल की नहीं खोता
क़फ़स को भी बना लेते हैं गुलशन आशियाँ वाले
तुर्फ़ा क़ुरैशी
ग़ज़ल
हुआ हूँ ख़ाक उस के ग़म में तो भी सीना-साफ़ी से
नहीं खोता है वो आईना-रू दिल से ग़ुबार अपना
ताबाँ अब्दुल हई
ग़ज़ल
फिर नहीं रखता ख़बर अपनी न दुनिया का ख़याल
जुस्तुजू में तिरी जब खोता है खोने वाला