aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "गढ़ने"
ख़त्म महलों की रवा-दारी का दस्तूर हुआअब यहाँ कौन है दीवार में गढ़ने वाला
मुझ पर फ़तवे गढ़ने वालोख़ुद अपनी हरकात भी देखो
सब से अव्वल है बात गढ़ने मेंहाए ज़ालिम मुआ'शरा मेरा
यूँ मोहब्बत से मुझे देखना उस का और फिरलोगों की आँखों में इस बात के गढ़ने का सुकून
हयात गुज़री थी किरदार जिस के गढ़ने मेंज़लील हो के उसी दास्ताँ से लौटा हूँ
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हमहर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं
वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुएवो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए
रात बीती तो गिने आबले और फिर सोचाकौन था बाइस-ए-आग़ाज़-ए-सफ़र शाम के बा'द
तुम्हारी शाइ'री क्या है बुरा भला क्या हैतुम अपने दिल की उदासी को गाने लगते हो
मैं भी तो इस बाग़ का एक परिंदा हूँमेरी ही आवाज़ में मुझ को गाने दे
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसरदिन गिने जाते थे इस दिन के लिए
धड़कनें दिल की गिने ख़ूँ में रवानी माँगेज़िंदगी इश्क़ की ऐ दोस्त जवानी माँगे
हम अपने दुख को गाने लग गए हैंमगर इस में ज़माने लग गए हैं
'फ़रहत' एहसास अब ऐसा भी इक आहंग कि लोगसुन के अशआ'र तिरे नाचने गाने लग जाएँ
जिस के कुछ तार उलझ जाते हैं दिल की सूरतबस उसी साज़ पे गाने में मज़ा आता है
सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले करघर में चिड़ियों के गाने पर बच्चों की हैरानी देखो
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँवो दिन जो हम ने तिरे हिज्र में गुज़ारे थे
कहीं रोना न पड़े तुझ को ज़माने के साथअरे ओ वक़्त की झंकार पर गाने वाले
ज़िंदगी से ऐसे काटा सीन उस ने इश्क़ कादेखता है कोई जैसे फ़िल्म गाने काट कर
सनम तेरी जुदाई में कटा है वक़्त मुश्किलगिने दिन हिज्र में कितने कैलेंडर जानता है
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