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ग़ज़ल
यूँ तो वो शक्ल खो गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल में
फूल है इक खिला हुआ हाशिया-ए-ख़याल में
ख़ुर्शीद रिज़वी
ग़ज़ल
आँखों में ख़्वाब ताज़ा है दिल में नया ख़याल भी
और जो मेहरबाँ रहे गर्दिश-ए-माह-ओ-साल भी
अकरम महमूद
ग़ज़ल
आई तुम्हारी याद जब ढल गई लम्हों में सदी
ऐसा लगा कि रुक गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल भी