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ग़ज़ल
हम वो गुम-गश्त-ए-मोहब्बत हैं कि तुम तो क्या हो
ख़ुद को हम ढूँडने निकलें तो ज़माने लग जाएँ
महशर आफ़रीदी
ग़ज़ल
ज़ि-बस खूँ-गश्त-ए-रश्क-ए-वफ़ा था वहम बिस्मिल का
चुराया ज़ख़्म-हा-ए-दिल ने पानी तेग़-ए-क़ातिल का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
होगी जब नालों की अपने ज़ेर गर्दूं बाज़-गश्त
मेरे दर्द-ए-दिल की शोहरत जा-ब-जा हो जाएगी
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
ग़ज़ल
पए-गुल-गश्त सुना है कि वो आज आते हैं
फूलों की भी ये ख़ुशी है कि खिले जाते हैं