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ग़ज़ल
सच्चाई है इन का मज़हब अपनी ख़ता भी कह लेते हैं
झूट ग़बन धोके की राहें छोटे बच्चे क्या जानें
एजाज़ अहमद एजाज़
ग़ज़ल
हश्र में पेश-ए-ख़ुदा फ़ैसला इस का होगा
ज़िंदगी में मुझे उस गब्र को तरसाने दो
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
लाश के नन्हे हाथ में बस्ता और इक खट्टी गोली थी
ख़ून में डूबी इक तख़्ती पर ग़ैन-ग़ुबारा लिक्खा था
अहमद सलमान
ग़ज़ल
ले रहा है दर-ए-मय-ख़ाना पे सुन-गुन वाइ'ज़
रिंदो हुश्यार कि इक मुफ़सिदा-पर्दाज़ आया
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
फ़रिश्तो तुम कहाँ तक नामा-ए-आमाल देखोगे
चलो ये नेकियाँ गिन लो कि गठरी खोल दी हम ने
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
हम ठहरे आवारा पंछी सैर गगन की करते हैं
जान के हम को क्या करना है कौन है कितने पानी में