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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
रंग हवा से यूँ टपके है जैसे शराब चुवाते हैं
आगे हो मय-ख़ाने के निकलो अहद-ए-बादा-गुसाराँ है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
लोग रो रो के भी इस दुनिया में जी लेते हैं
एक हम हैं कि हँसे भी तो गुज़ारा न हुआ