आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चश्म-ए-बसीरत"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "चश्म-ए-बसीरत"
ग़ज़ल
मक़्सद-ए-हुस्न है क्या चश्म-ए-बसीरत के सिवा
वज्ह-ए-तख़्लीक़-ए-बशर क्या है मोहब्बत के सिवा
गुलज़ार देहलवी
ग़ज़ल
खुल गई चश्म-ए-बसीरत ख़ाक में मिलने के बा'द
दिल के हर ज़र्रे में इक दुनिया नज़र आई मुझे
बिस्मिल इलाहाबादी
ग़ज़ल
चश्म-ए-बसीरत राह की मिश्अल अज़्म-ए-जवाँ पतवार हुआ
साहिल साहिल जश्न-ए-तरब है एक मुसाफ़िर पार हुआ
शाहिद मीर
ग़ज़ल
दिल की चोरी में जो चश्म-ए-सुर्मा-सा पकड़ी गई
वो था चीन-ए-ज़ुल्फ़ में ये बे-ख़ता पकड़ी गई