आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चिश्ती"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "चिश्ती"
ग़ज़ल
मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा
मोहब्बत को ख़ुनुक साए में नींद आई तो क्या होगा
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता
मुनाफ़िक़ दोस्तों के हाथ में तलवार क्या देता
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत
हिज्र में तेरी याद बहुत है ग़म में तेरा नाम बहुत
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
कली दिल-ए-तबाह की खिली न 'चिश्ती'-ए-हज़ीं
ख़िज़ाँ भी आ के जा चुकी बहार भी गुज़र गई
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
आज अचानक फिर ये कैसी ख़ुशबू फैली यादों की
दिल को आदत छूट चुकी थी मुद्दत से फ़रियादों की
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
दिल के कहने में न दीवाने कहीं आ जाना
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना-जाना