आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "छीनेगा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "छीनेगा"
ग़ज़ल
हर हाल में मेरा दिल-ए-बे-क़ैद है ख़ुर्रम
क्या छीनेगा ग़ुंचे से कोई ज़ौक़-ए-शकर-ख़ंद
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हम बादा-ए-उल्फ़त हैं सो हाथों से हमारे
छीनेगा मोहब्बत के कोई जाम कहाँ तक
राणा ख़ालिद महमूद कैसर
ग़ज़ल
छीना था दिल को चश्म ने लेकिन मैं क्या करूँ
ऊपर ही ऊपर उस सफ़-ए-मिज़्गाँ में पट गया