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ग़ज़ल
अनंत गुप्ता
ग़ज़ल
हाथ उठाऊँ इश्क़ से हरगिज़ ये हो सकता नहीं
नासेहा हर-दम मिरा दिल छील मत बा-पंद और
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
ऐ शजर-ए-हयात-ए-शौक़ ऐसी ख़िज़ाँ-रसीदगी
पोशिश-ए-बर्ग-ओ-गुल तो क्या जिस्म पे छाल भी नहीं