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ग़ज़ल
किसी की याद में गुम हो गई है रौशनी दिल की
जो गाहे-गाहे राह-ए-अश्क-ए-ग़म को जगमगाती है
ख़्वाजा ज़मीर
ग़ज़ल
ग़मों के आसमाँ पर जगमगाती ख़ुशनुमा यादें
कि शहर-ए-दिल की रातों का सवेरा हो नहीं सकता
मारूफ़ रायबरेलवी
ग़ज़ल
यूँ तो मुझ को लोरियाँ ख़ुद ही सुनाती रात है
और ख़ुद ही नींद से अक्सर जगाती रात है