आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जहल-ओ-तकब्बुर"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "जहल-ओ-तकब्बुर"
ग़ज़ल
कहाँ मैं और कहाँ दरबार का जहल-ओ-तकब्बुर
मगर इक इस्म की तस्बीह जिस से छा गया हूँ
मोहम्मद इज़हारुल हक़
ग़ज़ल
अगर ये कशमकश बाक़ी रही जहल ओ तमद्दुन की
ज़माना छीन लेगा दौलत-ए-इल्म-ओ-यक़ीं मुझ से
अली जवाद ज़ैदी
ग़ज़ल
हफ़ीज़ ताईब
ग़ज़ल
शिकवा-ए-जौर-ओ-जफ़ा बे-सूद है उन के हुज़ूर
ज़िक्र-ए-इख़लास-ओ-वफ़ा से जहल-ओ-नादानी की बात
वारिस रियाज़ी
ग़ज़ल
हर्फ़-ए-हक़ कहने में क्या क्या न हुए हम पे सितम
पूछना ही है तो बू-जहल ओ लहब से पूछो
अंजुम इरफ़ानी
ग़ज़ल
जहद-ओ-अमल का दामन थामें अज़्म का परचम लहराएँ
कश्ती पार नहीं लगती है बातों की पतवारों से