आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ज़ी-शुऊर"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ज़ी-शुऊर"
ग़ज़ल
दुनिया का होशियार बड़ा ज़ी-शुऊर था
जब तक मिरे कहे में दिल-ए-ना-सुबूर था
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
ज़ी-शु'ऊर उस में कहाँ अहल-ए-जुनूँ जीतते हैं
इब्तिदा होती है जिस खेल की अंजाम के बा'द
चाँद ककरालवी
ग़ज़ल
'फ़ाइक़' मिरे मज़ाक़ में बे-माएगी सही
दाद-ए-सुख़न-तलब हूँ मगर ज़ी-शुऊर से
सलाहुद्दीन फ़ाइक़ बुरहानपुरी
ग़ज़ल
अमीर हम्ज़ा आज़मी
ग़ज़ल
मैं सत्ह-ए-शेर पे उभरा हूँ आफ़्ताब लिए
ख़ुलूस-ए-फ़िक्र शुऊर-नज़र के ख़्वाब लिए