आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जुनून-ए-वस्ल"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "जुनून-ए-वस्ल"
ग़ज़ल
लुत्फ़ आए जो शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन सो जाए
क्यूँकि वो गोश-बर-आवाज़ नज़र आते हैं
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
पूछा ख़िताब यार से किस तरह कीजिए शाम-ए-वस्ल
चुपके से अंदलीब ने फूल से कुछ कहा कि यूँ
एस ए मेहदी
ग़ज़ल
सदा सुनते ही गोया मुर्दनी सी छा गई मुझ पर
ये शोर-ए-सूर था या वस्ल का इंकार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हज़ार शर्म करो वस्ल में हज़ार लिहाज़
न निभने देगा दिल-ए-ज़ार ओ बे-क़रार लिहाज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
साबिर ज़फ़र
ग़ज़ल
जुनून-ए-बे-सर-ओ-सामाँ की ज़ीनत देखने वाले
मबादा फ़र्क़ आए इश्क़ की तदबीर-ए-मंज़िल में
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
जुनून-ए-रह-रवी-ए-वक़्त की रफ़्तार से पूछो
कोई मंज़िल नहीं लेकिन ये सुब्ह ओ शाम चलता है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
क़यामत है जुनून-ए-शौक़-ए-आफ़त-कार की हसरत
सर-ए-शोरीदा को महशर में है दीवार की हसरत