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ग़ज़ल
तेरे दीवानों का देखे तो कोई जोश-ओ-ख़रोश
सू-ए-महशर भी हैं इक शोर मचाते जाते
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम
ग़ज़ल
क़तरे की पहचान ही दरिया में गुम हो जाना है कभी
कैसा जोश-ओ-ख़रोश है उस की मुलाक़ात के बारे में
ज़फ़र इक़बाल
ग़ज़ल
मय में मस्ती है न मय-ख़ारों में वो जोश-ओ-ख़रोश
मय-कदा सूना हुआ रिंद-ए-ख़राबात के बाद
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
हक़ीक़ी दोस्ती वो है हो जिस में जोश-ओ-ख़रोश
नशात-ए-रूह न हो जिस में ख़ुश-दिली क्या है
बर्क़ी आज़मी
ग़ज़ल
महफ़िल-ए-शेर-ओ-अदब में वो कहाँ जोश-ओ-ख़रोश
सर्द है गर्मी-ए-बाज़ार-ए-सुख़न तेरे बाद