आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "टिमटिमाते"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "टिमटिमाते"
ग़ज़ल
फ़लक की राह में कुछ टिमटिमाते हैं जहाँ तारे
इसी दश्त-ए-फ़रोज़ाँ में बनेगा इक मज़ार अपना
सैयद रुशैद अली जाफ़री
ग़ज़ल
टिमटिमाते हुए देखे हैं सितारों के चराग़
कहकशाँ से अभी इंसान कहाँ गुज़रा है
मोहम्मद नबी ख़ाँ जमाल सुवेदा
ग़ज़ल
कहीं हम को दिखा दो इक किरन ही टिमटिमाती सी
कि जिस दिन जगमगाएगा शबिस्ताँ हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक
ग़ज़ल
'शाद' कुछ पूछो न मुझ से मेरे दिल के दाग़ को
टिमटिमाता सा चराग़ इक अपने वीराने में था
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
मेरे अरमानों का मरकज़ मेरे दर्दों का इलाज
टिमटिमाता सा दिया इक गोशा-ए-मंज़िल में था