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ग़ज़ल
बहुत बिगड़ा हुआ है दोस्तो घर का निज़ाम अपना
ये बस ऊपर ही ऊपर देख लो सब टीम टाम अपना
हमीद दिलकश खंड्वी
ग़ज़ल
है घर में टीम क्रिकेट की ज़रा तू शर्म कर ज़ालिम
गिरानी के ज़माने में ये लीमू कैरियाँ कब तक
रऊफ़ रहीम
ग़ज़ल
घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
एक धुँदला सा तसव्वुर है कि दिल भी था यहाँ
अब तो सीने में फ़क़त इक टीस सी पाता हूँ मैं