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ग़ज़ल
मैं अपने अश्क में ख़ुद को भिगो रहा हूँ अभी
ख़ता को अश्क-ए-नदामत से धो रहा हूँ अभी
इरफान आबिदी मानटवी
ग़ज़ल
कल का वादा न करो दिल मिरा बेकल न करो
कल पड़ेगी न मुझे मुझ से ये कल कल न करो