aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "तन-ए-तन्हा"
यूँ क़ैस दश्त में तन-ए-तन्हा मुक़ीम हैकार-ए-जुनूँ में साथ बस 'अहमर' नदीम है
तन-ए-तन्हा मुक़ाबिल हो रहा हूँ मैं हज़ारों सेहसीनों से रक़ीबों से ग़मों से ग़म-गुसारों से
मैं अपनी जंग में तन-ए-तन्हा शरीक थादुश्मन के साथ सारा ज़माना शरीक था
आईना तन-ए-तन्हासच बोलने वाला है
लाखों तूफ़ाँ और तन-ए-तन्हा कोईदेखें अब आँखें चुराता कौन है
सद-शुक्र गुज़ारी है क़यामत तन-ए-तन्हाउस रात किसी ने मिरी हालत नहीं देखी
तन-ए-तन्हा का हूँ अपने नासिरख़ुद को पहुँची हुई इमदाद हूँ मैं
तन-ए-तन्हा भी गामज़न हूँ औरसाथ सब के रवाँ-दवाँ भी हूँ
बना है जिस के हाथों से समुंदरतन-ए-तन्हा वही क़तरा पड़ा है
कई जहतों से है यलग़ार मुझ परतन-ए-तन्हा मैं लश्कर हो गया हूँ
दिल-ए-बेचारा इक तन-ए-तन्हाफ़ौज-ए-ग़म आए है तमाम सिमट
तुम ने मुझ को छोड़ दिया है तन-ए-तन्हानीली छत वाला मेरा रखवाला है
तन-ए-तन्हा ही गुज़ारी हैं अँधेरी रातेंहम ने घबरा के पुकारा न कभी तारों को
एक नॉवेल हैं कभी पढ़ तू हमें फ़ुर्सत मेंतन-ए-तन्हा कई किरदार सँभाले हुए हैं
हज़ार में तन-ए-तन्हा सही मगर 'जर्रार'बजा-ए-ख़ुद मिरी तन्हाई एक महफ़िल है
अच्छा भला तो था तन-ए-तन्हा जहान मेंपछता रहा हूँ ख़ल्क़ का बेड़ा उठा के मैं
ज़िंदगी कहती है अरमाँ कोई अब है न उम्मीदकब तलक साथ करूँ मैं तन-ए-तन्हा तेरा
ख़ुदा की राह में निकला हूँ मैं तन-ए-तन्हाये पहली बार हुआ है ख़ुदा नहीं मिरे साथ
मैं इधर तन-ए-तन्हा और उधर ज़माना हैवाए गर ज़माने के साथ तू भी हो जाए
कभी मैं ख़ुद ज़ियादा हूँ तन-ए-तन्हा की वहदत मेंकभी मेरी ज़रूरत से मिरी वहदत ज़ियादा है
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