आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तपता"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "तपता"
ग़ज़ल
नज़र लिपटी है शोलों में लहू तपता है आँखों में
उठा ही चाहता है कोई तूफ़ाँ हम न कहते थे
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है
क्या देख रहे हो आँखों में इन आँखों में क्या रक्खा है