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ग़ज़ल
ये खुलेगा मुझ पे आख़िर मेरी मंज़िल है कहाँ
जब जुनूँ 'तासीर' मुझ को दर-ब-दर ले जाएगा
शर्मा तासीर
ग़ज़ल
आगही सर-चश्मा-ए-रंज-ओ-अलम 'तासीर' है
हम ख़ुशी से ही नहीं वाक़िफ़ तो फिर क्या ग़म करें
मोहम्मद दीन तासीर
ग़ज़ल
न पोंछो मोड़ कर मुँह मेरे आँसू अपने दामन से
न फेरो आँख तासीर-ए-मोहब्बत देखते जाओ
सफ़दर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
मक़्बूल-ए-दुआ हो न असर आह-ओ-फ़ुग़ाँ में
इस दौर में तासीर-ए-मोहब्बत को हुआ क्या
मिर्ज़ा मायल देहलवी
ग़ज़ल
हुस्न-ए-जानाँ की कशिश दुनिया में बाक़ी रह गई
बद-नसीबी से हमारी उड़ गई तासीर-ए-इश्क़