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ग़ज़ल
तिरे ख़याल का मस्कन चमन चमन का सफ़र
मिरी वफ़ा का नशेमन फ़क़त दयार-ए-हबीब
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
याद-ए-'हबीब' थी कि धुंधलकों में खो गई
दिल में सिवाए ख़ाक के बाक़ी भी क्या रहा
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
तन्हाइयों में रात की याद-ए-'हबीब' ने
छेड़ा है दिल का साज़ ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
दयार-ए-'दाग़'-ओ-'बेख़ुद' शहर-ए-देहली छोड़ कर तुझ को
न था मा'लूम यूँ रोएगा दिल शाम-ओ-सहर तुझ को
हबीब जालिब
ग़ज़ल
दयार-ए-शौक़ में मुझ को ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ क्यों हो
जो लुट जाए न राहों में वो मेरा कारवाँ क्यों हो
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
कह दे हाल-ए-ग़म-ए-दिल आँखों ही आँखों में 'हबीब'
लब से फ़रियाद न कर 'इश्क़ को बदनाम न कर