aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "दस्तक"
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक होमकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा
मैं ने पलकों से दर-ए-यार पे दस्तक दी हैमैं वो साइल हूँ जिसे कोई सदा याद नहीं
राज़ों की तरह उतरो मिरे दिल में किसी शबदस्तक पे मिरे हाथ की खुल जाओ किसी दिन
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला हैकिस की आहट सुनता हूँ वीराने में
दस्तक देने वाले भी थे दस्तक सुनने वाले भीथा आबाद मोहल्ला सारा हर दरवाज़ा ज़िंदा था
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी सेरात के पिछले-पहर रोज़ जगाती है हमें
हिज्र की शब मिरी तन्हाई पे दस्तक देगीतेरी ख़ुश-बू मिरे खोए हुए ख़्वाबों की तरह
दरवाज़ा भी जैसे मिरी धड़कन से जुड़ा हैदस्तक ही बताती है पराया है कि तुम हो
सारी उम्र इसी ख़्वाहिश में गुज़री हैदस्तक होगी और दरवाज़ा खोलूँगा
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौनदस्त-बस्ता शहर में खोले मिरी ज़ंजीर कौन
कोई भी दस्तक करे आहट हो या आवाज़ देमेरे हाथों में मिरा घर तो है दरवाज़ा नहीं
बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती हैयाद तिरी कब दस्तक दे कर आती है
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजीकिस की ख़ुश-बू ये मुझे मेरे सिरहाने आई
बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थीसब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था
ये तय करता है दस्तक देने वालाकहाँ दर हूँ कहाँ दीवार हूँ मैं
जब तुझ से ज़रा ग़ाफ़िल ठहरे हर याद ने दिल पर दस्तक दीजब लब पे तुम्हारा नाम न था हर दुख ने पुकारा उस दिन था
अब मोहल्ले भर के दरवाज़ों पे दस्तक है नसीबइक ज़माना था कि जब मैं भी बहुत ख़ुद्दार था
सबा ने फिर दर-ए-ज़िंदाँ पे आ के दी दस्तकसहर क़रीब है दिल से कहो न घबराए
हम किसी दर पे न ठिटके न कहीं दस्तक दीसैकड़ों दर थे मिरी जाँ तिरे दर से पहले
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