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ग़ज़ल
कैसे टेढ़ा न चले मार बड़ी मुश्किल है
सीधी हो ज़ुल्फ़-ए-गिरह-दार बड़ी मुश्किल है
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
दहान-ए-हर-बुत-ए-पैग़ारा-जू ज़ंजीर-ए-रुस्वाई
अदम तक बेवफ़ा चर्चा है तेरी बेवफ़ाई का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बने ना-वाक़िफ़-ए-शादी अगर हम बज़्म-ए-इशरत में
दहान-ए-ज़ख़म-ए-दिल समझे जो देखा रू-ए-ख़ंदाँ को
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
दहान-ए-ज़ख़्म-ए-क़ातिल दम-ब-दम फ़रियाद करते हैं