आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दिलचस्पियाँ"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "दिलचस्पियाँ"
ग़ज़ल
हम अहल-ए-शहर की ख़्वाहिश कि मिल-जुल कर रहें लेकिन
अमीर-ए-शहर की दिलचस्पियाँ कुछ और कहती हैं
ख़ुशबीर सिंह शाद
ग़ज़ल
तुम्हारे होंटों से कुछ राब्ते हैं गहरे से
तुम्हारी आँखों में दिलचस्पियाँ हमारी हैं
सुदेश कुमार मेहर
ग़ज़ल
दर-हक़ीक़त रोज़-ओ-शब की तल्ख़ियाँ जाती रहीं
ज़िंदगी से सब मिरी दिलचस्पियाँ जाती रहीं