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ग़ज़ल
ख़ुशी तक़्सीम करती हूँ दिल-आज़ारी नहीं आती
मिरा मक़्सद है ग़म-ख़्वारी अदाकारी नहीं आती
राबिआ बसरी
ग़ज़ल
दिल-आज़ारी मोहब्बत में कहाँ मा'लूम होती है
अजब तस्कीं पस-ए-सोज़-ए-निहाँ मा'लूम होती है
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
मोहब्बत करने वालों की दिल-आज़ारी नहीं करते
ख़ता पर सर झुकाने वाले मक्कारी नहीं करते
ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
रहेंगे हश्र तक मम्नून-ए-एहसान-ए-दिल-आज़ारी
ख़ुलूस-ए-इश्क़ पर ये क़ीमती इनआ'म क्या कहिए
अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी
ग़ज़ल
हर्फ़ उस पैकर-ए-गुल पर न था आने वाला
उस को शर्मिंदा किया रस्म-ए-दिल-आज़ारी ने
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
उन्हें शौक़-ए-दिल-आज़ारी हमें ज़ौक़-ए-वफ़ादारी
ख़ुदा-हाफ़िज़ है अब अपने किशोर-ए-कार-ए-उल्फ़त का