आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दिल-बस्तगी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "दिल-बस्तगी"
ग़ज़ल
दिल-बस्तगी सी है किसी ज़ुल्फ़-ए-दुता के साथ
पाला पड़ा है हम को ख़ुदा किस बला के साथ
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
तुम अपने आशिक़ों से कुछ न कुछ दिल-बस्तगी कर लो
किसी से दुश्मनी कर लो किसी से दोस्ती कर लो
नूह नारवी
ग़ज़ल
तुम्हारी याद से दिल-बस्तगी सी होती जाती है
हमारी ज़िंदगी अब ज़िंदगी सी होती जाती है
तहनियतुन्निसा बेगम तहनियत
ग़ज़ल
दिल-बस्तगी के होते हैं सामाँ कभी कभी
कश्ती की सम्त बढ़ते हैं तूफ़ाँ कभी कभी
सय्यद मुज़फ़्फ़र अहमद ज़िया
ग़ज़ल
तिरी तस्वीर भी है बाइ'स-ए-दिल-बस्तगी लेकिन
उसे तस्कीन क्या हो जो तिरी बातों पे मरता हो
हफ़ीज़ जौनपुरी
ग़ज़ल
दिल से रह-ए-दिल-बस्तगी कब तय हो 'नज़ीर' आह
वो ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल जो न हो सिलसिला-ए-पा