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ग़ज़ल
एक मंज़र पर नज़र ठहरे तो ठहरे किस तरह
हम मिज़ाज-ए-गर्दिश-ए-अय्याम ले कर आए हैं
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
चखी है चाशनी जिस ने दिल-ए-बिरिश्ता की
वो शीर-ए-मादर-ए-बौझा है बे-दरंग शराब
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
एहतिराम-ए-गर्दिश-ए-अय्याम करना ही पड़ा
ग़म ग़लत करने को शग़्ल-ए-जाम करना ही पड़ा
अख़्तर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
दास्तान-ए-गर्दिश-ए-अय्याम लिखता जाऊँगा
मैं मुअर्रिख़ हूँ तिरा अंजाम लिखता जाऊँगा
बिस्मिल्लाह अदीम
ग़ज़ल
शाम-ए-फ़ुर्क़त इंतिहा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है
जितनी सुब्हें हो चुकी हैं आज सब की शाम है
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
हदीस-ए-तल्ख़ी-ए-अय्याम से तकलीफ़ होती है
सहर वालों को ज़िक्र-ए-शाम से तकलीफ़ होती है
हफ़ीज़ बनारसी
ग़ज़ल
फ़ित्ना-ए-गर्दिश-ए-अय्याम से जी डरता है
साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम से जी डरता है
जावेद कमाल रामपुरी
ग़ज़ल
शिकवा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम भी कर लें कुछ देर
दिल को हसरत-कश-ए-आराम भी कर लें कुछ देर
साक़िब कानपुरी
ग़ज़ल
कभी जब दास्तान-ए-गर्दिश-ए-अय्याम लिखता हूँ
तो फिर उनवान की सूरत में अपना नाम लिखता हूँ
वलीउल्लाह वली
ग़ज़ल
वो इंसाँ जो शिकार-ए-गर्दिश-ए-अय्याम होता है
भला करता है दुनिया का मगर बदनाम होता है
ग़ुबार किरतपुरी
ग़ज़ल
मस्त साक़ी की नज़र की जुम्बिशों को क्या कहूँ
या'नी बे-पर्दा जवाब-ए-गर्दिश-ए-अय्याम था
वफ़ा बराही
ग़ज़ल
कुश्तगान-ए-गर्दिश-ए-अय्याम होना था हुए
गुम थे हम ख़्वाबों में जो अंजाम होना था हुए