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ग़ज़ल
बात उल्टी वो समझते हैं जो कुछ कहता हूँ
अब के पूछा तो ये कह दूँगा कि हाल अच्छा है
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
कर दूँगा अभी हश्र बपा देखियो जल्लाद
धब्बा ये मिरे ख़ूँ का छुड़ाना नहीं अच्छा
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
खुल के रो लेने से दिल हलकान हो जाएगा क्या
मुस्कुरा दूँगा तो सब आसान हो जाएगा क्या