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ग़ज़ल
हँसो तो साथ हँसेंगी दुनिया बैठ अकेले रोना होगा
चुपके चुपके बहा कर आँसू दिल के दुख को धोना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
मिरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है
तुम्हारे साथ मिल कर ख़ुद को धोना चाहता हूँ मैं
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
जनाब-ए-दिल बहुत नाज़ाँ न हों दाग़-ए-मोहब्बत पर
ये दुनिया है यहाँ ये दाग़ भी धोना ज़रूरी है
शोएब बिन अज़ीज़
ग़ज़ल
ऐसा काम करें क्यूँ 'आज़िम' जिस को कर के पछताएँ
पहले दाग़ लगाएँ क्यूँ हम जब अश्कों से धोना है
आज़िम कोहली
ग़ज़ल
ग़म काहे का यारो मातम क्या बदलोगे निज़ाम-ए-आलम क्या
मरना था 'रज़ा' को मरता है ये काहे का रोना धोना है
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
नवाह-ए-ज़ीस्त में क्यूँ बारिशें होती नहीं हैं
मैं पिछले मौसमों के ज़ख़्म धोना चाहता हूँ
सलीम सरफ़राज़
ग़ज़ल
जब भी देखो नहाना धोना उन का रहता है चालू
संडे मंडे जुमा हफ़्ता ये मालूम न वो मालूम