आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नियाज़"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "नियाज़"
ग़ज़ल
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हम ऐसे सादा-दिलों की नियाज़-मंदी से
बुतों ने की हैं जहाँ में ख़ुदाइयाँ क्या क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
कोई बात दिल में वो ठान के न उलझ पड़े तिरी शान से
वो नियाज़-मंद जो सर-ब-ख़म कई दिन से तेरे हुज़ूर है
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
ख़्वाब-सरा-ए-ज़ात में ज़िंदा एक तो सूरत ऐसी है
जैसे कोई देवी बैठी हो हुजरा-ए-राज़-ओ-नियाज़ में चुप
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
हम रहे याँ तक तिरी ख़िदमत में सरगर्म-ए-नियाज़
तुझ को आख़िर आश्ना-ए-नाज़-ए-बेजा कर दिया
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
ज़हीर देहलवी
ग़ज़ल
दुनिया के नेक-ओ-बद से काम हम को 'नियाज़' कुछ नहीं
आप से जो गुज़र गया फिर उसे क्या जो हो सो हो