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ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
नीव बैठी जा रही है सारी दीवारें गईं
घर का बासी घर की हालत से नहीं क्या आश्ना
बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
ग़ज़ल
नद्दी नद्दी रन पड़ते हैं जब से नाव उतारी है
तूफ़ानों के कस-बल देखे अब मल्लाह की बारी है
एज़ाज़ अफ़ज़ल
ग़ज़ल
मज्लिसी माना तबस्सुम है लबों पर इन दिनों
इस पे उम्मीदों की फिर से नींव डाली जाएगी
कमल कटारिया करन
ग़ज़ल
यासिर इक़बाल
ग़ज़ल
बुत-कदे की नीव ज़ाहिद किस क़दर मज़बूत थी
आज तक का'बा भी है क़ाएम उसी बुनियाद पर