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ग़ज़ल
जो ख़ालिस नेता है वा'दे का पक्का हो नहीं सकता
कि जैसे जेब में गंजे के कंघा हो नहीं सकता
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
हमारे भारत के सारे नेता अगर सियासत नबी से सीखें
चमक उठेगा जहाँ में सारे ये मुल्क सच्चा महान बन कर
सय्यद मुईनुद्दीन मख़्फ़ी
ग़ज़ल
मिली है चोर से पुलिस मिला ग़ुंडों से हर नेता
अज़ल से इन में साझे-दारियाँ दोनों तरफ़ से हैं
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
हम किसी नेता के दुम-छल्ले नहीं बन कर रहे
ज़िंदगी हम ने गुज़ारी है बहुत ही शान से