aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पजामा"
हमारी आरज़ू अपनी समझ में भी नहीं आतीपजामा इस तरह का है जिसे उलटाए रखते हैं
गरेबाँ क्या पजामा फाड़ डालाकोई हद भी है इस दीवाना-पन की
नौजवाँ लोग पजामे को बुरा कहते हैंपैंट फट जाए तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं
पजामों के डिज़ाइन को बदल डाला तो क्या ग़म हैहमारी बीवियों के तो ग़रारे एक जैसे हैं
अपने पाजामा-ए-कमख़्वाब की हर बोटी कोशम्अ-रू शब को चराग़-ए-तह-ए-दामन समझा
मैं पैरहन अपने मैं समाता नहीं जूँ गुलजिस वक़्त से आमादा पए-जामा-दरी हूँ
कहे ये कौन राजा जी से ढाँकोखिसक आया है पाजामा कमर से
कसबियों की सी नहीं वज़्अ तो है है बाजीअरी पाजामा की ये गोट में लचका कैसा
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