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ग़ज़ल
वास्ते जिस के हुए बहर-ए-फ़ना के आश्ना
वो पसीजा भी न अपनी जाँ-फ़िशानी देख कर
शैख़ अली बख़्श बीमार
ग़ज़ल
सलीम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
वाह-रे-वा ऐ नाला-ए-सोज़ाँ देख ली तेरी ठंडी गर्मी
दिल न पसीजा उस काफ़िर का आग भी तू ने भड़का देखी
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम
ग़ज़ल
माथे पे पसीना क्यूँ आँखों में नमी कैसी
कुछ ख़ैर तो ही तुम ने क्या हाल-ए-जिगर देखा