आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पायान-ए-उलूम"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "पायान-ए-उलूम"
ग़ज़ल
दिल डूबाना इश्क़ के दरिया का हैगा इब्तिदा
ग़र्क़ करना जान को पायान-ए-बहर-ए-इश्क़ है
आरिफ़ुद्दीन आजिज़
ग़ज़ल
जिस तरफ़ भी चल पड़े हम आबला-पायान-ए-शौक़
ख़ार से गुल और गुल से गुलसिताँ बनता गया
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
कहें हम बहर-ए-बे-पायान-ए-ग़म की माहियत किस से
न लहरों से कोई वाक़िफ़ न कोई थाह जाने है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
ग़र्ब है मशरिक़-ए-ख़ुर्शेद-ए-उलूम-ओ-हिक्मत
अब ये लाज़िम है कि लौ अपनी उधर को ही लगाओ
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
न दिल में दर्द ही बाक़ी है अब न आँख में अश्क
अख़ीर वक़्त है पायान-ए-इज़्तिराब आया
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
ग़ज़ल
रह में ये कौन आबला-पायान-ए-शौक़ हैं
मुड़ मुड़ के देखती है जिन्हें कारवाँ की धूल