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ग़ज़ल
वो मिट्टी का बदन है या कोई जादू की पुड़िया है
उसी लम्हे नहीं होता जब उस को पाने जाते हैं
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
छूने चले हो दुनिया को तुम इक साया है हाथ न आए
जादू है ये नील की पुड़िया हम जादू और जादू लोग
अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल
रोते रोते जिस के लिए इक 'उम्र रहा हूँ मैं ज़िंदा
आज मिला तो हँस कर उस से ज़ह्र की पुड़िया ले ली है
आसिम वास्ती
ग़ज़ल
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
लिपटना पर्नियाँ में शोला-ए-आतिश का पिन्हाँ है
वले मुश्किल है हिकमत दिल में सोज़-ए-ग़म छुपाने की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मौसमों के तग़य्युर को भाँपा नहीं छतरियाँ खोल दीं
ज़ख़्म भरने से पहले किसी ने मिरी पट्टियाँ खोल दीं