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ग़ज़ल
मैं तोड़ूँ अहद-ओ-पैमान-ए-वफ़ा ये हो नहीं सकता
वो होते हैं तो हो जाएँ जुदा ये हो नहीं सकता
सीमाब बटालवी
ग़ज़ल
उस सम्त वहशी ख़्वाहिशों की ज़द में पैमान-ए-वफ़ा
उस सम्त लहरों की धमक कच्चा घड़ा आवारगी
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
उधर वो अहद-ओ-पैमान-ए-वफ़ा की बात करते हैं
इधर मश्क़-ए-सितम भी तर्क फ़रमाया नहीं जाता