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ग़ज़ल
हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले
न थी दुश्मनी किसी से तिरी दोस्ती से पहले
फ़य्याज़ हाशमी
ग़ज़ल
न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी
तसव्वुर में भी आ सकतीं नहीं मजबूरियाँ मेरी
फ़य्याज़ हाशमी
ग़ज़ल
न जाने कैसे सफ़र में हूँ मुब्तला 'फ़य्याज़'
वहीं पे आता हूँ वापस जहाँ से चलता हूँ
धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़
ग़ज़ल
फिर वही शख़्स मिरे ख़्वाब में आया होगा
नींद में उस ने ही आँखों को रुलाया होगा
धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़
ग़ज़ल
ज़िंदगी तुझ को भी और तेरा तमाशा देखूँ
अपनी मासूम सी आँखों से मैं क्या क्या देखूँ