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ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-उक़्बा है मुझे ख़्वाहिश-ए-दुनिया है मुझे
ऐश की धुन है मुझे मौत का धड़का है मुझे
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
रंज-ए-दुनिया फ़िक्र-ए-उक़्बा जाने क्या क्या दिल में है
ज़िंदगी दो दिन की अपनी सैकड़ों मुश्किल में है
शोला करारवी
ग़ज़ल
'आरज़ी आसाइशों की चाह करना छोड़ दे
फ़िक्र-ए-उक़्बा ज़ह्न में रख फ़िक्र-ए-दुनिया छोड़ दे
सलीम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-उक़्बा न करूँ तुझ में गिरफ़्तार रहूँ
शायरी तेरे लिए मैं सग-ए-दुनिया हो जाऊँ
सुल्तान अख़्तर
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-उक़्बा भी तो लाज़िम है कभी ऐ नादाँ
फ़िक्र-ए-हस्ती ही में मरना नहीं अच्छा होता
सहर प्रेमी
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-दुनिया इक तरफ़ है फ़िक्र-ए-उक़्बा इक तरफ़
किस तरह गुज़रेगी या-रब अपनी अब आराम से
महाराजा सर किशन परसाद शाद
ग़ज़ल
शेख़ को जन्नत मुबारक हम को दोज़ख़ है क़ुबूल
फ़िक्र-ए-उक़्बा वो करें हम ख़िदमत-ए-दुनिया करें
अहसन मारहरवी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-उक़्बा भी रहे रिफ़अत-ओ-तौक़ीर के साथ
क़ब्र ता'मीर हो हर क़स्र की ता'मीर के साथ
नादिर काकोरवी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-उक़्बा से लरज़ते हैं अब आ'साब-ए-'तमीज़'
देखिए फ़र्द-ए-अमल सामने लाए क्या क्या
तमीज़ुद्दीन तमीज़ देहलवी
ग़ज़ल
न कर 'महरूम' तू फ़िक्र-ए-सुख़न अब फ़िक्र-ए-उक़्बा कर
नवा-परवाज़ बज़्म-ए-शेर में आज़ाद होता है
तिलोकचंद महरूम
ग़ज़ल
रात-दिन रहता हूँ मैं शाना-कश-ए-ज़ुल्फ़-ए-सुख़न
फ़िक्र-ए-दुनिया फ़िक्र-ए-‘उक़्बा शा'इरी ने छीन ली
मंज़ूर-उल-हक़ नाज़िर
ग़ज़ल
ज़ख़्म देते जाएँ लेकिन फ़िक्र-ए-मरहम भी करें
दर्द जब हद से सिवा हो जाए तो कम भी करें