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ग़ज़ल
जफ़ा से फ़ितरत-ए-आसूदगाँ ता'मीर की तुम ने
वफ़ा को क़िस्मत-ए-आशुफ़्ता-हालाँ कर दिया हम ने
इज्तिबा रिज़वी
ग़ज़ल
हुस्न-ए-फ़ितरत के अमीं क़ातिल-ए-किरदार न बन
शोहरत-ए-ग़म के लिए रौनक़-ए-बाज़ार न बन
फ़ितरत अंसारी
ग़ज़ल
मिरी ख़ुद्दार 'फ़ितरत' की ख़ुदा ही आबरू रक्खे
ख़िज़ाँ के दौर में अज़्म-ए-बहाराँ ले के चलता हूँ
फ़ितरत अंसारी
ग़ज़ल
तुझ से और चश्म-ए-तवज्जोह का गिला क्या मा'नी
तेरा फ़ितरत तिरे इख़्लास के क़ाबिल भी नहीं
फ़ितरत अंसारी
ग़ज़ल
बू-ए-गुल किस क़दर थी हयात-आफ़रीं
ख़्वाब से 'फ़ितरत'-ए-ख़ुश-सुख़न जाग उट्ठा
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
नज़्अ' में 'फ़ितरत' ये तुम ने मेहरबानी की तो है
मौत का पैग़ाम्बर ना-मेहरबाँ हो जाएगा
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
बादा-ए-कोहना ढले साग़र-ए-नौ में 'फ़ितरत'
ज़ौक़-ए-फ़रियाद को आज़ुर्दा-ए-मातम न करो
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन
ये हज़रत-ए-इंसाँ ही की अज़्मत का बयाँ है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
यही अज़ल से है दस्तूर-ए-दोस्ती 'फ़ितरत'
वफ़ा का तिश्ना था हर दोस्त-दार और रहा
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
'फ़ितरत' हरीम-ए-शौक़ में आना जो था उन्हें
अश्कों को हम ने शम-ए-शबिस्ताँ बना लिया
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
रह-ए-हस्ती में सौ मुश्किल की इक मुश्किल ये थी 'फ़ितरत'
दिल-ए-नादाँ ने समझा ये हरम है जब भी दैर आया
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
'फ़ितरत' को है सियासत-ए-पीर-ए-मुग़ाँ से काम
सरशार हो चुकूँगा तो फिर जाम आयेगा
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
सब अपने अपने उजालों में गुम रहे 'फ़ितरत'
शरीक मेरी शब-ए-ग़म में कोई था न हुआ
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
'फ़ितरत' रुमूज़-ए-इश्क़ न कह गिर्या-कोश रह
सब कुछ कहा उसी ने जो याँ बस्ता-लब रहा