आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "फिसलता"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "फिसलता"
ग़ज़ल
इस्म बन कर तिरे होंटों से फिसलता हुआ मैं
बर्फ़-ज़ारों में उतर आया हूँ जलता हुआ मैं
अदनान मोहसिन
ग़ज़ल
किस तरह थामे हुए हैं ख़ुद को उस बस्ती के लोग
कोई मुतवाज़िन नहीं है और फिसलता भी नहीं
बलबीर राठी
ग़ज़ल
इस नगरी में काँच के टुकड़े पत्थर काँटे बिखरे हैं
ध्यान से चलना इस नगरी में अक्सर पाँव फिसलता है
मधूरिमा सिंह
ग़ज़ल
गर्दिश में हर इक शय है क्या ढूँढ रहे हैं सब
क्यों वक़्त फिसलता है क्यों उम्र सरकती है
तौक़ीर ज़ैदी
ग़ज़ल
इक ज़माना हाथ में था हो गया क़ाबू से बाहर
मुट्ठियों को भींचता हूँ पर फिसलता जा रहा है