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ग़ज़ल
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी
तो फिर इन बद-नसीबों को न क्यूँ उर्दू ज़बाँ आई
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
शिकायत है मुझे या रब ख़ुदावंदान-ए-मकतब से
सबक़ शाहीं बच्चों को दे रहे हैं ख़ाक-बाज़ी का
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
उस को भूले बरसों गुज़रे लेकिन आज न जाने क्यूँ
आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारन धमकाया है
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला