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ग़ज़ल
हम दोनों मिल कर भी दिलों की तन्हाई में भटकेंगे
पागल कुछ तो सोच ये तू ने कैसी शक्ल बनाई है
जौन एलिया
ग़ज़ल
मैं चुप खड़ा था तअल्लुक़ में इख़्तिसार जो था
उसी ने बात बनाई वो होशियार जो था